पल पल बड़ते कदम, कुछ तेज़ तेज़ कुछ मधम मधम
वो चीख वो अंदाज़, क्या मौत इसी को कहते हैं ??
वो चीख वो अंदाज़, क्या मौत इसी को कहते हैं ??
आसमानों में टिमटिमाते दिये जैसे तारे,
जो इस तूफान में कुछ धुंधले हो रहे हैं
ये बरफ सी ठंडी आह, मासूम बियाबान रात,
क्या मौत इसी को कहते हैं ??
याद है ज़िन्दगी भी है और तन्हाईं भी..
सिसकती हिचकियां भी हैं और सहमती रात भी
कभी आगोश में लेती हुयी माँ की पुकार को
और कभी धुंधली होती हुयी बच्चे की पुचकार को
क्या मौत इसी को कहते हैं ??
वक्त में बेपनाह लडाई में, जब शाम का आंचल खिसक कर गिर गया
उस बाप की लाचारी भरी मुस्कान को
जो सोचता था शायद रोके न सही, हँसके मना लूँगा भगवान को
समझ में तुझे न आया "ज़िन्दगी" तू हवा है और तुझे बहना है
तेरी पशो पैनी पे भी ये आंसू रुकते नही
माँ का आँचल भरता नही
बाप की उदासी कम होती नही
बच्चे का दिल अब चिडिया जैसा चहकता नही
क्या मौत इसी को कहते हैं ??
जो अब आके भी मुझे नही आती..
Written by A Loner.. another Zindagi (not me)..
All I want to say is that "Nobody is a Loner on this planet EARTH, somewhere there must be someone who dreams of your smile, and finds in your presence that "ZINDAGI" is worthwhile, so whenever you feel you are alone, remember it’s not true, someone somewhere is waiting, to be with you..”
Who has written this??
ReplyDeletethis reminded me another shayari!!!!!!
Zindagi tujhe jeene mei kya kami si reh gayi
aankh ke cor mei kuchh nami si reh gayi
Seems you have written this and trying to hide the fact. m i right?
ReplyDeleteMa’am jisane bhi ye kaha hai dil ka dard uski ankho se baha hai.visible in the pic too. As you said its not you, then who is this fellow?
ReplyDeleter u sure its not u Ms.Season?????
ReplyDeletewhy do u want me to cry?
ReplyDeletevery nice expressions.. please visit my poetry blog...
ReplyDeleteparaavaani.blogspot.com
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I can’t read Hindi but as you explain your thoughts below the your poem I am fully agree woth your share thoughts,it will be very nice if you will translate to your poem in English
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